About Us
त्रिरत्न बौद्ध महासंघ को विश्व स्तर पर Triratna Buddhist Community इस नाम से जाना जाता है। संघ के सदस्यों को धम्मचारी और धम्मचारीणी कहां जाता है। वे सभी के कल्याण के लिए धम्म के आचरण, अभ्यास और प्रचार करने आजीवन प्रतिबद्ध होते हैं। वे पूरे भारत में विभिन्न बौद्ध गतिविधियों, धम्म प्रशिक्षण और शिविर केंद्र चलाते हैं। भारतीय सदस्यों में से अधिकांश (सभी नहीं) डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर की प्रेरणा से बौद्ध बने हैं । डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर की बौद्ध दृष्टि त्रिरत्न बौद्ध महासंघ के नींव में प्रस्तापित है। यहीं हमारी प्रबुद्ध भारत के सपने को साकार करने की सबसे बड़ी उम्मीद है। विभिन्न जातियों की पृष्ठभूमि से धर्मांतरित बौद्ध इसके सदस्य हैं जो जातिविहीन भारत के निर्माण की ओर मजबूत कदम सुनिश्चित कर रहे हैं |
त्रिरत्न बौद्ध महासंघ की स्थापना आदरणीय उर्गेन संघरक्षितजी ने १२ लोगों को धम्मचारी दीक्षा दे कर १९६८ में, लंदन में की। शुरू में इसे Friends of the Western Buddhist Order के नाम से और भारत में त्रैलोक्य बौद्ध महासंघ सहायक गण के नाम से जाना जाता था । २०१२ में यह नाम बदलकर TRIRATNA BUDDHIST COMMUNITY और भारत में त्रिरत्न बौद्ध महासंघ कर दिया गया।
१९७७ में उर्गेन संघरक्षितजी ने अपने वरिष्ठ शिष्य धम्मचारी लोकमित्र को भारत में यहां के उनके अनुयायियों से मिलने के लिए प्रोत्साहित किया । डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर के नव धर्मांतरीत अनुयायियों में उर्गेन संघरक्षित के कई शिष्य थे। धम्मचारी लोकमित्र ने पुणे में १९७७-७८ में गतिविधियाँ शुरू कीं । ८० के दशक में उर्गेन संघरक्षित के कुछ वरिष्ठ शिष्यों ने, जैसे धम्मचारी डॉ. वीरभद्र, धम्मचारिणी पद्मसुरी, धम्मचारी पद्मवज्र भारत में संघ की स्थापना के लिए बहुत प्रयास किये।
भारत में कई अलग-अलग राज्यों में त्रिरत्न बौद्ध महासंघ कार्य करता हैं, ज्यादातर कार्य महाराष्ट्र में है। हमारे प्रमुख संस्थान सद्धमप्रदीप शिविर केंद्र भाजे, जिला पुणे । महाविहार दापोडी पुणे, ह्यू एन त्सांग शिविर केंद्र बोरधरन जिला, वर्धा , नागार्जुन ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, नागलोक, नागपुर, उर्गेन संघरक्षिता ध्यान भावना केंद्र, नांदेड़ है। विभिन्न शहरों में धम्म केंद्र चलाए जाते हैं ।
१९७८ से आज तक हजारों लोगों के साथ धम्म साझा किया, डॉ.बाबासाहेब अम्बेडकर की धम्मक्रांति का अर्थ स्पष्ट किया और सिखाया।
संघ के सदस्य - धम्मचारिणी और धम्मचारी मात्र उपासक नहीं हैं और वे भिक्खु भी नहीं हैं । डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर की विचारधारा के अनुसार वे नई तरह के धम्मसेवक है, जो सामान्य लोगों में से हैं और धम्म का आचरण और प्रचार करने के लिए आजीवन प्रतिबद्ध है। इसलिए, धम्मचारी या धम्मचारिणी का अर्थ धम्म का आचरण करने वाला ऐसा है, पाली धम्मपालन गाथा से यह शब्द अपनाया गया।
धम्ममित्र - जो व्यक्ति त्रिरत्न केंद्र के संपर्क में आते हैं या धम्मचारी या धम्मचारिणी के संपर्क में रहते हैं, वे महसूस करते हैं कि, यह संघ उनका आध्यात्मिक परिवार है, वे बुद्ध-धम्म का आचरण करना चाहते हैं और धम्ममित्र बनने के लिए संघ से अपने रिश्ते को गहरा करना चाहते। एक साधारण समारोह में उन्हें धम्ममित्र के रूप में स्वीकार किया जाता है। वे केंद्रों के माध्यम से संघ से जुड़े रहते हैं और केंद्रों में चलने वाली धम्म गतिविधियों से अध्ययन, अभ्यास और संघ गतिविधियों में सहायता करते हैं।
हमारी सामाजिक कटिबद्धता - त्रिरत्न बौद्ध महासंघ के सदस्य सामाजिक कार्यों को अपने धम्माचरण का अभिन्न अंग मानते हैं। वे समाज में जरूरतमंदों लोगों के लिए करुणा से कार्य करना चाहते हैं। ८० के दशक से झुग्गीयों और गरीब बस्तियों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए चिकित्सा, टीकाकरण, माता-शिशू देखभाल परियोजनाओं को संघ की ओर से चलाया गया। शिशु विहारोंके के माध्यम से सैकड़ों बच्चों की सेवा की, प्रारंभिक शिक्षा और स्वस्थ विकास के लिए कार्य किया| भारत के पांच राज्यों में छात्रों और छात्राओं के लिए लगभग १८ छात्रावास चलाए। लातूर महाराष्ट्र में हुए भूकम्प के समय बहुत से पुनर्वास कार्य किए और प्रभावित क्षेत्र में 2 छात्रों के लिए और एक छात्राओं के लिए ऐसे तीन छात्रावास शुरू किए। यह अभी भी चल रहे हैं। भुज गुजरात में भूकम्प की आपदा में लोगों की सहायता करते प्रभावित बच्चों के लिए छात्रावास शुरू किए। सुनामी प्रभावित क्षेत्रों में भी सहायता प्रदान की। कोविद -१९ महामारी के दौरान कई राज्यों में समाज कार्य किया और बहुत से लोगों को सहायता प्रदान की। बच्चों को शिक्षा, भोजन, अनाज और अन्य सहायता प्रदान की। साथ ही विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से परामर्श सेवाएं प्रदान कीं।
Triratna Bauddha Mahasangha is known as Triratna Buddhist Community Globally. At the core of it, there is a Sangha of ordained members called Dhammacharis and Dhammacharinis. They are committed for life to practice and propagate the Dhamma for the welfare of many. They run various Buddhist activities, Dhamma training and retreat centres all over India.
Most (not all) of its Indian members were converted to Buddhism upon the inspiration of Dr Babasaheb Ambedkar. Principles and approaches to Buddhism upheld by Dr Babasaheb Ambedkar are already established in the foundation and functioning of Triratna Baudddha Mahasangha giving the biggest hope to achieve a dream of Prabuddha Bharat. Buddhists converted from various caste backgrounds are its members ensuring a strong move towards a casteless India.
Triratna Bauddha Mahasangha was founded by Ven. Urgen Sangharakshita in 1968 in London. Ordination of 12 people marked a beginning of Triratna Sangha. Initially, it was known as Friends of the Western Buddhist Order and in India, it was known as Trailokya Bauddha Mahasangha Sahayaka Gana. In 2012 it was renamed TRIRATNA BUDDHIST COMMUNITY and TRAIRTNA BAUDDHA MAHA SANGHA in India.
In 1977 Ven. Urgen Sangharakshita encouraged his senior disciple Dhammachari Lokamitra to visit and meet his followers in India. Ven. Urgen Sangharakshita had many disciples among newly converted followers of Dr Babasaheb Ambedkar. Dhammachari Lokamitra started activities in Pune in 1977-78. Few more senior disciples of Sangharakshita came in to help Dhammachari Lokamitra. Dhammachari Dr Veerabhadra, Dhammacharini Padmasuri, Dhammachari Padmavajra spends a lot of time helping establish Sangha in India in the eighties.
Presently we work in several different states in India. Most of our work is in Maharastra. Our major institutions are Saddhamapradip Retreat centre Bhaje, Dist. Pune. Mahavihara Dapodi Pune, Hsuen Tsang Retreat Centre Bordharan Dist wardha, Nagarjuna Training Insittute, Nagaloka, Nagpur, Urgen Sangharakshita Dhyan Bhavana Kendra, Nanded. We run various city-based Dhamma centres. Since 1978 we shared Dhamma with thousands of people. We clarified and taught the meaning of Dr Babasahebs Dhammakranti.
Order members - Dhammacharinis and Dhammacharis ( Why Dhammachari) The ordained individuals in Triratna Sangha are not mere Upasakas and they are not Bhikkhus either. Following the Dr Babasaheb Ambedkars thought we needed a new Dhammasevak, one among common people yet fully committed to practice and preach the Dhamma. Therefore, Dhammachari or Dhammacharini means Dhamma Practitioners, a word that was used in Pali scriptures with this meaning were adopted.
Dhammamitras - Individuals who come in contact with the Triratna Centres or keep in touch with Dhammachari or Dhammacharini, find that this sangha is their spiritual family, they want to follow Buddha-Dhamma and wanted to deepen their connection request to be Dhammamitras. In a simple ceremony, they are accepted as Mitras. They keep closely connected with the sangha through centres and keep learning, practising and supporting the Dhamma activities at the centres.
Our Social engagement - Members of Triratna Bauddha Mahasangha responds to society as an integral part of their practice of Dhamma. They want to extend their compassionate hand to the needy in society. From the eighties, we started medical, vaccination, mother and child care projects to look after the health of people living in slums. Through Balwadis we served hundreds of children, looked after early education and healthy growth. We ran about 18 Hostels for boys and girls over five different states in India. We responded to the Latur earthquake, did a lot of rehabilitation work and started two boys and one girl hosted for affected people, these hostels are still running. We responded to the earthquake disaster in Bhuj Gujrat and started hostels for affected children. We also responded to tsunami-affected areas. We responded to the society in several states during the Covid-19 epidemic and provided help and support to many people. We provided food and grains and support in education to children and provided counselling services through different activities.
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